'दर्पण' कार्यालय की कार्यगतिविधियों को आनलाईन देखने का कार्यक्रम है। जिसका उद्देश्य जनपद के सभी पटल/कार्यालय की कार्यवाहियों में शत प्रतिशत शुचिता, पारदर्शिता व समयवद्धता सुनिश्चित करवाना तथा संपादित कार्यवाहियों की समस्त सूचनाये लाभार्थियों व उच्च अधिकारियों को उपलब्ध कराना है, जैसे दर्पण की देयक सूचना प्रणाली के अन्तर्गत वेतनबिल की प्रिन्टिग, कोषागार से टोकेन लेना, भुगतान हेतु बैक खातों में धनराशि की एन्टृी होना एवं जिला कोषागार में देयक प्रस्तुतीकरण व कोषागार में कार्यवाही पूर्ण कर भुगतान होना आदि ।
इस कार्यक्रम की सबसे खास विशेषता यह है कि इसमें किसी भी प्रकार का कोई सरकारी अथवा व्यक्तिगत व्यय नही है। इसमें गूगल एव अन्य आई.टी. संस्थाओं के निशुल्क उत्पादकों का उपयोग किया गया है।
अपने पटल से सम्बन्धित दिनभर हुये कार्य को अद्यावधिक स्वयं किया जा सकता है अथवा सायं पांच बजे जिला कम्प्युटर कक्ष में उपस्थित रहकर करना होता है। मात्र पाँच मिनट खर्च कर पूरे दिनभर की पूछताँछ से छुटकारा मिल जायेगा।
किसी भी कार्य प्रकिया में विभिन्न कार्यालयों के अनेक कार्मिक कार्य सम्पादित करतें है। प्रत्येक पटल के कार्य की सूचना आनलाईन अपडेट रहेगी जिससे अच्छे कार्य करने वालो की पहचान हो सकेगी ।
मुख्यालय एवं अधीनस्थ कार्यालयों का आपस में पत्राचार के अतिरिक्त तात्कालिक सूचनाओं हेतु दूरभाष का उपयोग होता है। एक जैसी सूचना भिन्न-2 कार्यालयों के सहायकों को दूरभाषित करने में समय के साथ-2 धन का भी व्यय होता है। इसके उपरान्त भूलने का भी भय बना रहता है।
'सूचना-पट ' नामक वेबपृष्ठ पर सामान्य सूचना प्रदर्शित की जा सकती है। प्रदर्शन हेतु अनुभाग प्रमुख अपने हस्ताक्षर सहित सूचना (गोपनीय सूचनाओं को छोड़कर) कार्यालय समय में दे सकते हैं। इससे टेलीफोन का व्यय एवं समय की बचत के साथ-२ सूचना प्रेषित करने का प्रमाण भी बना रहेगा।
सभी पटलों का कार्य आनलाईन प्रदर्शित होने के कारण आलसी एवं कार्य से अरूचि रखने वाले कार्मिक भी कार्य समय से पूर्ण करने हेतु बाध्य होंगे। क्योंकि उनके कार्य करने की शैली सभी को दृष्टिगोचर होगी।
मुख्यालय एवं अधीनस्थ कार्यालयों का आपस में पत्राचार के अतिरिक्त तात्कालिक सूचनाओं हेतु दूरभाष का उपयोग होता है। एक जैसी सूचना भिन्न-2 कार्यालयों के सहायकों को दूरभाषित करने में समय के साथ-2 धन का भी व्यय होता है। इसके उपरान्त भूलने का भी भय बना रहता है।
'सूचना-पट ' नामक वेबपृष्ठ पर सामान्य सूचना प्रदर्शित की जा सकती है। प्रदर्शन हेतु अनुभाग प्रमुख अपने हस्ताक्षर सहित सूचना (गोपनीय सूचनाओं को छोड़कर) कार्यालय समय में दे सकते हैं। इससे टेलीफोन का व्यय एवं समय की बचत के साथ-२ सूचना प्रेषित करने का प्रमाण भी बना रहेगा।
‘दर्पण’ – एक सफल प्रयोग
बड़े
से बड़े कार्य को टुकड़ो में विभाजित कर कार्य के प्रत्येक भागों को पूर्ण करने
हेतु समय निश्चित कर दिया जाये तो आसानी से कार्य पूर्ण हो जाता है। सरकारी
व्यवस्था में लगभग सभी कार्यो में विभाजन है जो कि विभिन्न पटलों व कार्यालयों के
माध्यम से सम्पादित होता है। यदि प्रत्येक स्तर पर सभी कर्मचारी समयबद्ध, कर्मठ व
कार्य के प्रति त्याग करने की भावना वाले हों तो कार्य समय से व उत्कृष्टता के साथ
पूर्ण होगा। इस पूरी जंजीर में एक कड़ी भी कमजोर है तो समस्या पैदा होगी। अर्थात एक कर्मचारी भी अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन नही करता है तो पूरी कार्य प्रणाली दूषित हो जाती है। इस तरह की समस्या को हमेशा के लिये वैज्ञानिक
ढंग से समाप्त करने का प्रयास दर्पण है।
पथभ्रष्ट मनुष्य भी इमानदार, क्षमतावान व
उत्कृष्टता का आवरण ओढ़ना चाहते है, सामान्य एवं अच्छे मनुष्यो का भी स्वभाव होता
है कि उनके कार्य व क्षमता समाज में प्रदर्शित हो, मनुष्यो की इन्हीं प्रवत्तियों पर
दर्पण आधारित है। अच्छे कार्मिकों के लिये एक अभिवावक की भूमिका दर्पण निर्वहन
करता है, जिन्हें समय से कार्य पूर्ण करने हेतु प्रेरित करता रहता है। जो अच्छे
नही हैं वे अच्छा दिखाने के लिये कार्य को समय से पूर्ण करने को तत्पर होते है,
तथा धीरे-2 अभ्यस्त हो जाते है।
दर्पण
में कार्य को विभिन्न स्तरों में विभाजित कर प्रत्येक स्तर पर कार्य पूर्ण होने
हेतु समय निश्चित कर दिया जाता है तथा प्रत्येक स्तर पर कार्य पूर्ण होने पर दर्पण
के बेवपृष्ठों पर प्रदर्शित कर दिया जाता है। इसके साथ ही साथ निर्धारित समयानुसार
कार्य सम्पादित होने पर सम्बन्धित कर्मचारी के मूल्याकंन हेतु अंकीय व्यवस्था भी
की गयी है। इस कार्यक्रम का दूसरा पक्ष यह भी है कि लाभान्वित होने वालों को भी अपने
कार्य के सम्बन्ध में इंटरनेट के माध्यम से जानकारी प्राप्त हो जाती है।
दर्पण
का प्रथम प्रयोग कर्मचारियों के वेतन भुगतान से प्रारम्भ किया गया। शासन की
मंशानुरूप कर्मचारियों को उनके देयों का समय से भुगतान हो, परन्तु बड़ी संख्या
वाले कार्यालयो मे भुगतान देर से ही प्राप्त होता रहा है, समय-2 पर प्रशासन द्वारा
पर्याप्त प्रयास भी किये जाते रहे परन्तु व्यवस्था सुधर नही सकी। इससे
शासन-प्रशासन की छवि धूमिल होने के साथ-2 भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है।
जिलाधिकारी, हरदोई द्वारा शासन की मंशानुरूप भुगतान-प्रणाली को
सुव्यवस्थित, पारदर्शी, गतिशील, शुचितापूर्ण तथा नियमानुकूल देयों का भुगतान
सुनिश्चत कराने के निमित्त शून्य लागत से वेब आधारित ‘दर्पण’
कार्यक्रम का शुभारम्भ दिनांक 09-10-2014 किया गया था। यह कार्यक्रम दो भागों में है, प्रथम भाग में विभागों/कार्यालयों की भुगतान
प्रणाली को दर्पण से जोड़कर बेवपृष्ठों पर प्रत्येक स्तर पर सम्पादित कार्य को
प्रदर्शित किया जाता है, जिससे समय से कर्मचारियों का मासिक वेतन का भुगतान
सुनिश्चित होता है। द्वितीय भाग में सम्बन्धित शासनादेशों का उचित पालन न होने पर अनुचित
लाभ अथवा हानि के सम्बन्ध में सम्वन्धित विषय विशेषज्ञयों की जाँच समिति से खुली
बैठक में नैसर्गिक न्यायानुसार जाँच करा कर प्राप्त निर्णयों का किर्यान्वयन कराया जाता है।इसमें भी समस्त कार्यवाही बेवपृष्ठों पर अपडेट की जाती है
दर्पण के अन्तर्गत देयक सूचना प्रणाली की मुख्य विशेषतायें
व उद्देश्य निम्नवत है-
1-
सेवारत/सेवानिवृत्त कर्मियो के मासिक वेतन,
पेशन, जी.पी.एफ. एवं अन्य देयो की भुगतान प्रकिया को आनलाईन देखने का कार्यक्रम है,
जिसका उद्देश्य जनपद के कार्मिकों के भुगतान से सम्वन्धित पटल/कार्यालय की कार्यप्रणाली में शत
प्रतिशत शुचिता, पारदर्शिता व समयवद्धता सुनिश्चित
करवाना तथा सम्बंधित सूचनाये जैसे वेतनबिल की प्रिन्टिग, कोषागार से
टोकेन लेना, भुगतान हेतु बैक खातों में धनराशि की
एन्ट्री होना एवं जिला कोषागार में देयक प्रस्तुतीकरण व कोषागार से भुगतान होना
आदि संपादित कार्यवाहियों की समस्त सूचनाये लाभार्थियों व उच्च अधिकारियों को
उपलब्ध कराना है।
2- देयक भुगतान प्रक्रिया
ससमय् संपादित हो, इस हेतु इस कार्यक्रम में
सम्पूर्ण भुगतान प्रणाली के विभिन्न स्तरों पर सम्पादित हो रहे कार्यों को वेबपृष्ठों
पर दर्शाया जाता है, साथ ही साथ देयकों से सम्बन्धित सभी पटल पर कार्य हेतु समय-सीमा निर्धारित की गयी है।
प्राय: देखा गया कि भुगतान में विलम्ब के
लिये पटल/कार्यालय एक-दूसरे पर दोषारोपण करते
रहे हैं। इस प्रणाली में ऐसा होने की सम्भावना नही रहती है क्योकि वस्तुस्थिति
स्पष्ट हो जाने के कारण विलम्ब के लिये आसानी से उत्तरदायित्व निर्धारित किया जा
सकता है।
3- भुगतान प्रणाली के विभिन्न स्तरों पर सम्पादित
हो रहे कार्य के दृश्याकंन हेतु वेबपृष्ठ पर प्रत्येक स्तर के कार्य पूर्ण करने
हेतु समय-सीमा निम्नानुसार निर्धारित की गयी है-
(अ) मासिक वेतन-
क्र.स
कार्य का विवरण
निर्धारित अवधि
1&
कम्पयूटर से मासिक वेतन बिल तैयार करना।
मासान्त से तीन कार्य दिवस पूर्व
2&
बजटअंकन व आ.वि.अधि. से हस्ताक्षरित होना
मासान्त से दो कार्य दिवस पूर्व तक
3&
जिला कोषागार से टोकेन प्राप्त करना
मासान्त से एक कार्य दिवस तक
4&
ई-फाईल तैयार कर अपलोड होना तथा ई-चेक
का अनुमोदन होना।
मासान्त तक
5&
कोषागार में बिलों के भुगतान हेतु प्रस्तुत करना
अगले माह की प्रथम तिथि तक
6-
कोषागार में भुगतान प्रक्रिया पूर्ण
होना
अगले माह की प्रथम तिथि तक
( ब) lk0 Hk0
fuf/k ls vfxze fu"dklu&
dk;Z dk fooj.k
fu/kkZfjr vof/k
1&
प्रार्थनापत्र प्राप्त करना।
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2&
नियमानुसार कार्यवाही पूर्ण कर
पत्रावली मुख्यालय प्रेषित करना।
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ds पश्चात दो dk;Z
fnolksa esaA
3&
स्वीकृतकर्ता अधिकारी से स्वीकृत कराना।
अधीनस्थ कार्यालयों से पत्रावली प्राप्त
होने के पश्चात्
दो
dk;Z fnolksa esa rFkk tuin Lrj ij dk;Zjr~ dkfeZdksa ds izkFkZuki= izkIr gksus
ds पश्चात चार कार्य दिवसों में।
4&
स्वीकृतोपरान्त देयक तैयार कर आ.वि.आ. से हस्ताक्षरित होना।
स्वीकृतोपरान्त एक कार्य दिवस में।
5&
कोषागार से टोकेन प्राप्त करना।
आ.वि.आधि. के हस्ताक्षरोपरान्त एक कार्य
दिवस में।
6&
ई-फाईल तैयार कर अपलोड होना तथा ई-चैक
का अनुमोदन होना।
टोकेन प्राप्त होने के पश्चात् एक कार्य
दिवस में।
7-
कोषागार में भुगतान प्रक्रिया पूर्ण होना
देयक प्राप्त होने से 1 कार्य दिवस मे
4- कर्मचारियों के संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा
प्राप्त किसी पुराने बकाया प्रकरण को विशेष प्रकरण के पेज पर दर्ज कर उसका
समयबद्ध निस्तारण किया जाता है।
5- ‘दर्पण’ कार्यक्रम के विकसित करने व संचालन में किसी भी प्रकार कोई
व्यय नही होना है क्योकि इसमें निशुल्क उत्पादकों व सुविधायों का उपयोग हुआ है, इसके साथ ही
साथ सम्वन्धित कार्यालय पर दर्पण के संचालन में पटल सहायक का मात्र दो से तीन मिनट का कार्य माह में चार बार
अर्थात पूरे माह में आठ से दस मिनट का अधिकतम समय देना पड़ता है।
6- इस कार्यक्रम के माध्यम से अच्छे
कार्मिको की पहचान आसानी से हो जाती है, उन्हें पुरस्कृत किया जा सकता है।
7- किसी कार्यक्रम की सफलता हेतु आवश्यक है कि कार्मिकों का
उनके द्वारा सम्पादित किये गये कार्यानुसार पारदर्शी सतत् मूल्यांकन हो जिसके हेतु
एक वेबपृष्ठ तैयार कर आधुनिक मनौवैज्ञानिक, पारदर्शी मूल्याकंन पद्धति के अन्तर्गत अंकीय व्यवस्था बनायी गयी, जो निम्नानुसार है-
क्र.सं.
कार्य का नाम
कार्यानुसार प्राप्त होने
वाले अंक
ससमय कार्य पूर्ण होने पर
समय सीमा उपरान्त दो कार्य दिवसों में
दो दिवसों के उपरान्त भी कार्य पूर्ण न होने पर
1
मासिक वेतन
1
0
-1
2
अग्रिम जी.पी.एफ.
0
0
-2
3
विशेष प्रकरण
1
0
-3
8- प्राप्तांकों के आधार पर
निर्णय लिया जा सकता है।
9- सेवानिवृत्ति लाभों का समय
से नियमानुकूल भुगतान सुनिश्चत करना।
10- कार्यालयों को जड़ता,
अवैज्ञानिकता, स्वार्थलोलुपता से दूर कर आदर्श वातावरण को स्थापित करना।
11- ‘दर्पण’ कार्यक्रम के
अन्तर्गत 'सूचना-पट ' नामक वेबपृष्ठ पर सामान्य
सूचनाओं को प्रदर्शित करने की व्यवस्था की गयी हे। इच्छुक अनुभाग
प्रमुख अपने हस्ताक्षर सहित वेब पर प्रसारण हेतु सूचना (गोपनीय सूचनाओं को
छोड़कर) कार्यालय समय में दे सकते
हैं। इससे टेलीफोन का व्यय व समय की बचत
के साथ-२ सूचना प्रेषित करने का प्रमाण भी बना रहेगा।
समग्र समस्यायों का एक ही
स्थान पर हल
दर्पण एक ऐसा ठहराव है जहाँ वेतन व पेंशनभोगियों की समस्त
समस्यायों का निराकरण हो सके। इस हेतु वर्तमान में दर्पण से तीन तरह के कार्य जुड़े है- 1- भुगतान प्रणाली का अनुश्रवण
2- प्राप्त प्रार्थनापत्रों की आधुनिक वैज्ञानिक नैशर्गिक न्यायानुसार पारदर्शी
जाँच व जाँचोपरान्त हुये निर्णयों को लागू कराना 3- कार्यरत कर्मचारियों का मूल्यांकन
व पटल सहायकों को कार्य के सम्बन्ध में परामर्श। भुगतान प्रणाली का अनुश्रवण व
कर्मचारियों के मूल्यांकन के सम्बन्ध में उपर बताया जा चुका है। प्राप्त
प्रार्थनापत्रों की जाँच हेतु एक समिति का गठन किया गया है जिसे ‘दर्पण’ वित्तीय जाँच समिति नाम
दिया गया है, जिसके सम्बन्ध में आगे दिया जा रहा है-
‘दर्पण’ वित्तीय जाँच समिति
‘दर्पण’ कार्यक्रम के तीन मुख्य उद्देश्य हैं। उचित
देय, उचित समय, उचित पारदर्शी प्रणाली। उचित देय अर्थात सेवारत/सेवानिवृत्त कार्मिकों के
सुसंगत शासनादेशों के अनुसार मासिक वेतन, पेंशन अथवा अन्य देय प्राप्त हों। जव
कार्मिकों को यह विश्वास होता है कि उन्हें नियमानुसार भुगतान प्राप्त नही हो रहे
हैं जिससे वह शिकायत करतें हैं। अनेक शिकायतों में उचित निस्तारण/संतुष्ट न होने के कारण वे
न्यायालयों में भी जाते है। ऐसी स्थित में
कार्यालय से लेकर न्यायालय की प्रक्रियायों में राष्ट्र के संसाधनों व समय,
पटल सहायक की अनभिज्ञता,हठ अथवा स्थानीय स्तर पर उचित निस्तारण न होने के कारण
व्यय होता है। जनपद स्तर पर ही प्रत्येक समस्या के निदान के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया गया है
शिकायत
निस्तारण प्रणाली ऐसी अवश्य होनी चाहिए जो न्यायोचित निराकरण के साथ-2 प्रार्थी को
यह आभास अवश्य कराये कि उसकी बात गंभीरता से सुनी गयी, विचार हुआ तथा सही निराकरण
किया गया। ‘दर्पण’ की शिकायत निस्तारण
प्रणाली इसी तथ्य पर आधारित है।
सामान्यतया यह देखा गया है कि
शिकायतकर्ता की शिकायत उसी कार्यालय/पटल पर निस्तारण हेतु भेज दी जाती है, जहाँ से
समस्या उत्पन्न हुई थी। यदि अनभिज्ञता या भ्रष्टता के कारण समस्या उत्पन्न हुई थी
तो वह कारण शिकायत निस्तारण के समय भी विद्यमान होगा। कभी-2 यह कार्मिको के अहम्
के टकराव के कारण कार्यालयों का वातावरण को भी अत्यन्त दूषित करता है।
‘दर्पण’ में शिकायत निस्तारण प्रणाली आधुनिक,
वैज्ञानिक, तार्किक व विश्वासी बनाने हेतु परम्परा से अलग हटकर निम्नानुसार की गयी
है-
1-
इस व्यवस्था में प्रार्थनापत्र ( शिकायत) प्राप्त होने पर
सम्बन्धित कार्यालय/पटल को निस्तारण हेतु नही भेजा जाता है, वरन् विषय विशेषज्ञो (लेखा संवर्ग) की
बनायी गयी समिति को भेजा जाता है। इस समिति का नाम ‘दर्पण’ वित्तीय जाँच समिति रखा गया है।
2- समिति का गठन- जाँच समिति
के अध्यक्ष व सदस्यगण जनपद के लेखा संवर्ग के योग्य, परिश्रमी, अनुभवी व समाज सेवा
की भावना रखने वाले जो निस्वार्थ भावना से ( मानदेय़ रहित) प्राप्त प्रार्थनापत्रों
पर विचार-विमर्श कर सही निर्णय ले सके, जिसके क्रम में एक लेखाधिकारी अथवा वरिष्ठ कोषाधिकारी व तीन
लेखाकारों की समिति का गठन जिलाधिकारी महोदय किया गया है।
3- कार्य प्रक्रिया- प्राप्त
प्रार्थनापत्रो को ‘दर्पण’ के वेबपृष्ठ पर
दर्ज किया जाता है तथा एक संभावित विचार-विमर्श की तिथि निश्चित कर ‘दर्पण’ के वेबपृष्ठ पर इस आशय के
साथ प्रदर्शित की जाती है कि सम्वन्धित कार्यालय/ पटल सहायक निर्धारित तिथि को
विचार-विमर्श हेतु अपने तथ्यों के साथ उपस्थित होकर प्रकरण को निस्तारण कराये। यह
सूचना, सूचनापट पर भी प्रदर्शित की जायेगी। प्रार्थी भी विचार-विमर्श की तिथि को
उपस्थित होकर अपने पक्ष के तथ्य समिति के समक्ष रख सकता है। प्रार्थी व अन्य को
व्यक्तिगत सूचना प्रेषण की व्यवस्था नही है। यह कार्य खुले कक्ष में व
स्वस्थ वातावरण में किया जाता है।
4- समिति प्रत्येक
प्रार्थनापत्र पर गहन विचार-विमर्श कर अपना मन्तव्य अनुमोदन हेतु जिलाधिकारी महोदय
के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। अनुमोदनोपरान्त अग्रिम कार्यवाही अमल में लायी
जाती है। जाँच के समय प्रार्थी व पटल सहायकों के साथ-2 अन्य सभ्रान्त व्यक्ति भी बैठ
सकते हैं तथा अपने विचार व्यक्त कर सकते है।
5- आदेश का क्रियान्वयन-
जिलाधिकारी महोदय द्वारा पारित आदेश का क्रियान्वयन सम्वन्धित कार्यालय/पटल द्वारा कार्य के
प्रत्येक स्तर हेतु निर्धारित समय सीमा की की परिधि में, जोकि ‘दर्पण’ के विशेष प्रकरण नामक
पृष्ठ पर प्रदर्शित होगी, के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने का
उत्तरदायित्व होगा। संपादित हुये कार्य को नियमित रूप से वेबपृष्ठ पर दर्ज किया
जायेगा। नियत समय सीमा में कार्य पूर्ण न होने
की दशा में ‘दर्पण’ की अंकीय व्यवस्थानुसार
ऋणात्मक अंक दिये जाने के साथ-साथ दण्डात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है।
6- ‘दर्पण’ कार्यक्रम में आपके सुझाव
आमंत्रित हैं, जिन पर गहनता से विचारोपरान्त समाविष्ट किया जायेगा।
‘दर्पण’ वित्तीय जाँच समिति
कार्यालयों की स्वच्छ कार्यप्रणाली बनाने हेतु वित्तीय जाँच समिति निम्न
कार्यो का सम्पादन करती है-
1- प्राप्त प्रार्थनापत्रों की खुली बैठक में जाँच।
2- कार्यालयों पटलों को कार्य सम्पादन हेतु परामर्श, जाँच व सहयता।
3- उच्च अधिकारियों द्वारा प्राप्त गंभीर प्रकरणों में परामर्श।
इस सम्बन्ध में कार्य
प्रगति निम्नानुसार है-
क्रम सं.
कार्य की प्रकति
अब तक निस्तारित प्रकरण
1
गंभीर वेतन विसंगति के
प्रार्थनापत्र/प्रकरण
60
2
कार्यालयो को कार्य सम्पादन हेतु परामर्श
59 लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों के ए.सी. पी. तैयार करने में
परामर्श
3
वेतन विसगंति के अतिरिक्त समस्या के सम्बन्ध में प्राप्त
प्रार्थनापत्र
3
वर्तमान में समिति के पास लगभग 41
प्रार्थनापत्र/प्रकरण विचाराधीन
है। जिन्हें शीघ्र निस्तारित कर दिया जायेगा। प्रचार प्रसार अधिक न होने के बाद भी
बरावर व्यक्तिगत प्रार्थनापत्र व दर्पण से भुगतान प्रणाली जोड़ने हेतु कर्मचारियों
द्वारा प्रयास किये जा रहै है।
‘दर्पण’ को इंटरनेट के माध्यम से
देखने की प्रक्रिया
जनपद की वेबसाईट hardoi.nic.in पर उपलव्ध DARPAN नामक वेब-लिंक को क्लिक
करने पर ‘दर्पण’ आपके कम्प्यूटर की स्क्रीन
पर प्रदर्शित हो जायेगा। इसके अतिरिक्त गूगल सर्च पर हिन्दी में ‘दर्पण’ हरदोई, जिलाधिकारी हरदोई अथवा सुदेश कुमार दीक्षित शव्द टंकित कर यह
पेज सुगमता से खोजा जा सकता है।
‘दर्पण’ के भावी प्रस्तावित कार्यक्रम- अन्य कार्यक्रम भी तैयार किये जा रहे है जो शीघ्र ही प्रस्तुत होंगे।
दिनांक- (सुदेश कुमार दीक्षित)
प्रभारी ‘दर्पण’ कार्यक्रम
हरदोई
दर्पण के अन्तर्गत देयक सूचना प्रणाली की मुख्य विशेषतायें व उद्देश्य निम्नवत है-
क्र.स
कार्य का विवरण
निर्धारित अवधि
1&
कम्पयूटर से मासिक वेतन बिल तैयार करना।
मासान्त से तीन कार्य दिवस पूर्व
2&
बजटअंकन व आ.वि.अधि. से हस्ताक्षरित होना
मासान्त से दो कार्य दिवस पूर्व तक
3&
जिला कोषागार से टोकेन प्राप्त करना
मासान्त से एक कार्य दिवस तक
4&
ई-फाईल तैयार कर अपलोड होना तथा ई-चेक
का अनुमोदन होना।
मासान्त तक
5&
कोषागार में बिलों के भुगतान हेतु प्रस्तुत करना
अगले माह की प्रथम तिथि तक
6-
कोषागार में भुगतान प्रक्रिया पूर्ण
होना
अगले माह की प्रथम तिथि तक
dk;Z dk fooj.k
fu/kkZfjr vof/k
1&
प्रार्थनापत्र प्राप्त करना।
fdlh Hkh
dk;kZy; fnol मेंA
2&
नियमानुसार कार्यवाही पूर्ण कर
पत्रावली मुख्यालय प्रेषित करना।
izkFkZuki= izkIr gksus
ds पश्चात दो dk;Z
fnolksa esaA
3&
स्वीकृतकर्ता अधिकारी से स्वीकृत कराना।
अधीनस्थ कार्यालयों से पत्रावली प्राप्त
होने के पश्चात्
दो
dk;Z fnolksa esa rFkk tuin Lrj ij dk;Zjr~ dkfeZdksa ds izkFkZuki= izkIr gksus
ds पश्चात चार कार्य दिवसों में।
4&
स्वीकृतोपरान्त देयक तैयार कर आ.वि.आ. से हस्ताक्षरित होना।
स्वीकृतोपरान्त एक कार्य दिवस में।
5&
कोषागार से टोकेन प्राप्त करना।
आ.वि.आधि. के हस्ताक्षरोपरान्त एक कार्य
दिवस में।
6&
ई-फाईल तैयार कर अपलोड होना तथा ई-चैक
का अनुमोदन होना।
टोकेन प्राप्त होने के पश्चात् एक कार्य
दिवस में।
7-
कोषागार में भुगतान प्रक्रिया पूर्ण होना
देयक प्राप्त होने से 1 कार्य दिवस मे
क्र.सं.
कार्य का नाम
कार्यानुसार प्राप्त होने
वाले अंक
ससमय कार्य पूर्ण होने पर
समय सीमा उपरान्त दो कार्य दिवसों में
दो दिवसों के उपरान्त भी कार्य पूर्ण न होने पर
1
मासिक वेतन
1
0
-1
2
अग्रिम जी.पी.एफ.
0
0
-2
3
विशेष प्रकरण
1
0
-3
‘दर्पण’ वित्तीय जाँच समिति
क्रम सं.
कार्य की प्रकति
अब तक निस्तारित प्रकरण
1
गंभीर वेतन विसंगति के
प्रार्थनापत्र/प्रकरण
60
2
कार्यालयो को कार्य सम्पादन हेतु परामर्श
59 लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों के ए.सी. पी. तैयार करने में
परामर्श
3
वेतन विसगंति के अतिरिक्त समस्या के सम्बन्ध में प्राप्त
प्रार्थनापत्र
3
श्री सुदेश कुमार दीक्षित, प्रभारी दर्पण कार्यक्रम हरदोई |